Sunday, August 18, 2019

तुम होते तो

तुम होते तो
न होती ये रात
चित्र - गूगल आभार 
तन्हाई वाली
न होता ये बवंडर
मेरे अंदर
जो कचोटता है मुझे
फिर, जब उफ़न कर
शान्त होता है
और धीरे से
मेरे दिल की कुंडी
खोल देता है
उसे लगता है
तुम वापस आओगे
पर उसे क्या मालूम
कि मैंने दिल की चौखट
में कोई डेरा
कभी नहीं डाला
जो था तुम्हें सौंप दिया था
"मेरी आत्मा"
अब कोई क्या ले जाएगा
तुम्हें मालूम हो जाता
जो तुम होते तो।
©युगेश
Rate this posting:
{[['']]}

No comments:

Post a Comment