Friday, July 14, 2017

शादी या कैरियर

जीवन के पड़ाव का जब २५वाँ वसंत आता है तो आपकी आक़ांक्षाएँ बदलने लगती हैं/ नौकरी और शादी दो ऐसे ज्वलंत विषय बन जाते हैं जो की ना केवल आपको बल्कि आपके माता-पिता,रिश्तेदारों सभी को बहुत परेशान करते हैं/ ऐसे में Donald Trump के राष्ट्रपति बनने पर जितना Mexico परेशान ना हुआ होगा उससे कहीं ज़्यादा परेशानी आपको हो जाती है बाकी रही सही कसर आस-पास के लोग पूरी कर देते हैं/ ऐसे में पनपता है विनोद.............

आज फिर हमारी शामत आयी
फिर घर में हमारी जो मामी आयी
आज फिर हमारे लिए रिश्ता लाया है
मुझसे कहा बड़े मुश्किल से मनवाया है
मैंने कहा मुझे अभी पढ़ना है
बेटा यही तो जीवन गहना है
और बाकी सब तो यूँ ही चलते रहना है
मामी आपको ये पता नहीं
चित्र-गूगल आभार 
नौकरियाँ आजकल बड़ी मुश्किल से मिलती हैं
कभी IT सेक्टर में बूम था
आजकल वहाँ भी छटनियाँ चलती हैं
आप छोड़ो ये सब
मुझे देना है अपने कैरियर को दिशा-निर्देश
अगर ये रिश्ता छोड़ दिया तो पछताओगे युगेश
तुम्हे पता है लड़की सुशील है सुंदर है
और तो और उसके पिताजी मिनिस्टर हैं
तब तुम्हारे पास वैभव होगा यश होगा
अरे! तरक्की इतनी की
कैशलेस के ज़माने में भी भर-भर के कैश होगा
और नौकरी की चिन्ता तो तुम छोड़ ही दो
IT सेक्टर की नौकरी न सही Bugatti जरूर होगा
मैंने कहा मामी ये ज्यादा हो गया
अरे! ठीक है कम से कम i20 तो होगा
इस मन-लुभावन भविष्य के झूले में
मैं भी मन ही मन खूब झूला
पर अचानक से झूले से गिरा
और यथार्थ में खुद को तौला
सामने लगे आईने पर मैंने अपना प्रतिबिम्ब देखा
क्या कहूँ मैंने खुद को थोड़ा बौना देखा
इसका तनिक आभास मुझे झकझोर गया
और इस मन-लुभावन रिश्ते को
मैं बनने से पहले तोड़ गया
मुझे लगा मामी अब नाराज़ हो जायेंगी
पर देखो ये अट्टाहास
किसे पता था मामी मुस्कुराएँगी
कहा चलो ये किताबें ऐसे ही नहीं रखी हैं
कुछ अच्छी बातें तुम्हारे दिमाग में भी धँसी हैं
खैर थोड़ी जल्दी करना
वरना तुम्हारे ये बाल उड़ जाएँगे
बताओ फिर अच्छे रिश्ते कहाँ से आएँगे
मामी आप चिन्ता न करें
मैं जल्द ही अच्छी सी नौकरी पाउँगा
और जब तक शादी न हो
बालों में बाबा रामदेव जी का
शुद्ध,चमत्कारी,अविश्वसनीय
केश कांति तेल लगाऊंगा।
©युगेश
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Friday, July 7, 2017

ठहर जाने दो पानी की इन छींटों को

ठहर जाने दो पानी की इन छींटों को चेहरे पर
कि ये मुझे ऐसे ही अच्छे लगते हैं
इनका गिरना,फिसलना,भटकना
मेरी तेरी आँख मिचौली से लगते हैं
चित्र- गूगल आभार 
ये बूँदें जो तुम्हारे लाली को समेटते हुए
उसके भार से गिरने को आमद हों
बता देना मुझे,मैं हथेली पर रख लूँगा उन्हें
क्योंकि एहसास होगा उनमें तुम्हारा
एक ठंडक सी होगी जो तुम महसूस न कर सको
पर मुझे इल्म है उसका,उस सुकून का
जो ज़िद पर आ जाए वो बूँदें
और ठहर जाना चाहें रुकसार पर तुम्हारे
थोड़ी सी रहमत करना उन पर
मैंने सुना है सीपियों में मोती बनते हैं
आज देखना चाहता हुँ
सुना है बारिश के बाद हल्की सी धूप होती है
डर है मुझे कहीं चुरा न ले जाये ये सूरज
इन मोतियों को फिर से कोई नई माला गूँथने
सो उठा लिया मैंने उन मोतियों को अपने होंठों से
कि अब वो मेरा हिस्सा थी जिनमें तेरा हिस्सा था
और मुस्कुरा उठी तुम मेरी नासमझी पर
अचानक फिर से तुम्हारे चेहरे पर एक बूँद आ टिकी
और लगा दिए तुमने अपने गाल मेरे गालों पर
और ठहर गयी वो बूँद
अब मुझे धूप का इंतज़ार था
मोती के माले जो गूँथवाने थे सूरज से
जिसमे तेरा हिस्सा था,जिसमे मेरा हिस्सा था/
© युगेश 
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