Tuesday, May 16, 2023

प्रथम वर्ष प्रेम का

प्रथम वर्ष प्रेम का
तेरे मेरे गठजोड़ का
जैसे कोई मधुर राग
और जल्दी बीते फाग।

कभी दिखे चितचोर
और कभी दिखे बरजोर
कभी हाथो में ले हाथ
कभी करते दो दो हाथ।

दिल की बातें आँखों से
आँखें करती इशारे
अकुलाई कभी घबराई सी
कभी मन में फूटते शरारे।

तवे से निकली रोटी
थोड़ी पकी थोड़ी कच्ची
जैसे अल्हड़ हमारा प्यार
और समय लाए निखार।

धीरे मिटे मन की झिझक
आँखों में एक-दूजे की ललक
कैनवास को रंगता चित्रकार
जिसे रंग भरता तेरा मेरा प्यार।
©युगेश


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