Wednesday, July 1, 2020

क्या बचा बाद पतझड़ के

कुम्हलाई बयार के आगोश में झाँक कर देखो
क्या बचा बाद पतझड़ के झाँक कर देखो।
मौसम बदलेगा, पत्ते आएँगे, फिज़ा बदल जाएगी
तेरे बाद मुझमें क्या रह जाएगा झाँक कर देखो।
हर मौसम नहीं लगता फल इन शाखों पर
मुफलिसी बतलाती है साथी, आँक कर देखो।
लोग बदलते हैं रिश्ते, एक सा अच्छा नहीं लगता
चाँद क्यूँ बदलता है रूप, हाँक कर देखो।
सफलता की ज़मीन में फिसलन बहुत है
संभालना हो तो जड़ों को झाँक कर देखो।
©युगेश
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