Thursday, July 1, 2021

आँसू

तुम्हारी आँखों से जो छलके
वो आँसू थे
मेरी आँखों में जो सूख चुके थे
वो आँसू थे
दिल जब बिखर गया
और कुछ कह न पाया
आँखों से रिसकर बतलाया जिसने
वो आँसू थे
जब खुशी बड़ी हो गयी
और दुख जब बड़ा हो गया
पलकों से जो हर बार छलके
वो आँसू थे
कृष्ण ने
पानी परात बिन छुए
धोए जिनसे पाँव सुदामा के
वो आँसू थे
आँसू को परिभाषित कैसे करूँ
कैसे बतलाऊँ वो क्या हैं
जब कोई कुछ नहीं कहता
तो आँसू कहते हैं
वेदना, विश्वास, विनोद
वो अविरल बहते हैं
मानव जब महावीर बन
भगवान हो जाता है
पानी अपना उच्चतम स्तर
आँसू बन पाता है।
©युगेश

चित्र - गूगल आभार 


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