
उसकी याद कितना मुझे सताती है
जो होता हूँ मैं तेरे संग
वो आँखों से बह जाती है/
उसके आने के पहले
मेरी गुलशन तुझसे रही
और उसके आने पर भी
तू ही तो बस पास रही /
मेरे सुने उपवन में बजनेवाली उस पायल की
पहली झंकार कि तू ही तो साक्षी थी
मुझे मिली वो तेरी सौतन
जिसकी तू अभिलाषी थी /
उस मधुर क्षण में साथ हमारे
तेरा ही तो साया था
रौशन हुई थी तू उस पल
जो दिखा वो खूबसूरत साया था /
तूने सोचा होगा शायद
अब मैं तुझसे दूर हुआ
पर देख तेरे ही साये में
इस जोड़े को नूर मिला /
याद है वो क्षण
जो मैं उससे मिला था
तू भी तो हरषाई थी
और चाँद पूरा खिला था /
तू ऊपर से हमें देख रही थी
जाने क्या खेल खेल रही थी
और नज़रें उनसे टकरायी थी
दुनिया स्थिर हमने पाई थी /
मयस्सर मुझको वो हो
बस केवल उसको पाना था
इस प्रेम रूपी मदिरा का साकी
वो पहला ही पैमाना था/
और धीरे-धीरे क्षण बीते थे
हम अक्सर ही मिल जाया करते थे
पहले तो ये संयोग हुआ
फिर मानो एक रोग हुआ /
फिर वो पल भी आया था
तेरा रूप सलोना पाया था
मैं बातें उससे कह पाया था
पाकर उसको मैं जी पाया था /
रजनी तू फिर रही पास
जो बँधा ये परिणय सूत्र खास
एक अध्याय नया फिर शुरू हुआ
मेरा सूनापन मनो दूर हुआ /
खुशियों के कुछ ही पल बीते थे
बरसात के शायद छींटे थे
शायद उनको बेह जाना था
हांथों से निकल फिर जाना था /
उस दिन तू बिलकुल काली थी
तू डरती जिससे वो वो लाली थी
दिल मेरा घबराया था
और अनहोनी का साया था /
मैं जीवन से बिलकुल रूठा था
मैं तो बिलकुल टुटा था
और मानो एक ठेस मिला
पर जीने को उद्देश्य मिला/
और उसकी निशानी मुझको जो
पापा कहके बुलाती है
वरना उसकी याद तो मुझको
हर एक क्षण तड़पाती है /
और कैसे कहूं मैं ओ रजनी
उसकी याद कितना मुझे तड़पाती है
जो होता हूँ मैं तेरे संग
वो आँखों से बेह जाती है/
mast h be
ReplyDeletenice one...
ReplyDeletethanks bhaiya :)
DeleteMast H Bro.. U Rock
ReplyDeletemast bhai a great source of inspiration to us hats off continue ur work with huge enthusiasm..... nice piece of poetry
ReplyDeletethanks yaar :)
Deleteधन्यवाद, आपको भी नववर्ष की शुभकामनायें /
ReplyDeleteवाह।। बहुत सुंदर...
ReplyDeleteवाह बहुत ही सुन्दर
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