मत पूछो ये कैसी उमंग
ये कैसी चेहरे की लाली
अपने रंगो में रंगने को
देखो फिर आई होली मतवाली/
जी,हाँ / अब कुछ ही दीनो में होली आ जाएगी,पर इस बार की होली हर बार की तरह ना होगी आखिर महँगाई जो इतनी बढ़ गयी है / सो मैने होली को आम आदमी से जोड़ कर देखा /एक सच्चे आम आदमी की होली दो मोहनों के बीच मे फँस गयी है / पहला ब्रज के मोहन और दूसरा मनमोहन / भई!महँगाई का हाल ये है की बज़ट में बस होली का होल रह गया है /ई मनमोहन अपने ब्रज ले गये हैं और सोनिया जी को सुपुर्द कर दिया है / तो इस पर लिखने से मैं खुद को रोक ना पाया तो ऐसी हालत है आम आदमी की इस होली में ------
महँगाई और होली
ज्यों ही मेज़
पर हाथ फिराया
था
जो पिछले वर्ष मैने
होली मे छपवाया
था/
उस डेढ़
हज़ार के बोनस
पर ही
मैने खुद
को ए. राजा
सा पाया था
घर मे
थी होली-मिलन,और श्रीमति
ने
मुझे अच्छे
से लुटवाया था/
होली के उपरांत
भी मेरी हालत
बिल्कुल ए.
राजा ही जैसी
थी
होली के पहले
AC और
और उसके बाद
ऐसी की तैसी
थी/
जब-जब
चाहा उनलोगों ने
तब-तब
डटकर खाया था
जबकि उनको
था मालूम मुझपर
बनिए का
बकाया था/
दिखावे के उस
पंख से
मैने भी खुद
को सहलाया था
पर अब बटुवा
साथ ना देता
मैने श्रीमति को समझाया
था/
मेरी प्रियतमा
भी बिल्कुल
ममताजी से कम
नहीं
मैने कहा
ओ प्राणप्रिए गुस्सा
करना
शायद पत्नी-धर्म नहीं/
धर्म-कर्म मुझे
ना समझाओ
क्या तुमको इसका मर्म
नहीं
अरे! पत्नी को खुश
रखना
क्या पति का
धर्म नहीं/
घर पर
थी भीषण लहरी
बाहर महँगाई
का ज़ाडा था
शादी से
पहली उसकी खूबसूरती
अब उसके
तर्क-वितर्क से
हरा था/
बाज़ार जाकर मैने
जो
बज़ट का हाल
पाया था
सच कहता हूँ
होली का वो
लाल रंग
मेरी आँखों मे उतर
आया था/
अगर यही
रही महँगाई तो
प्रभु! मैं भी
तेरी शरण मे
आऊँगा
छोड़ इस
मोह-माया को
देखना
मैं भी
सन्यासी बन जाऊँगा/
©युगेश
©युगेश
:-)
ReplyDeleteअरे सन्यासी क्यूँ बनना....ज्यादा कमाओ...
शुभकामनाएं..
अनु
जी,बस पढ़ाई पूरी कर उसी दिशा मे बढ़ जाना है.......:p
Deleteहिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.
ReplyDeletebahut bahut sukriya......mujh naye blogger k liye aapki baatein kafi utsah vardhan krne wali hain.....dhanyawad
Deleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
ReplyDeleteशब्दों की मुस्कुराहट पर …..मैं अकेला चलता हूँ