Sunday, September 22, 2019

अपनी ऊँगलियों से जुल्फों को

चित्र - गूगल आभार
अपनी ऊँगलियों से जुल्फों को
कान के पीछे सहेज कर रखा कुछ यूँ
साँसे थाम कर दिल ने कहा
भला,ऐसा भी कोई करता है क्यूँ
जन्नत देखी नहीं पर लगता है मुझको
वहाँ नाज़नीं भी होगी तो होगी कुछ यूँ
गुस्ताख़ी माफ कर देना हमारी
मज़बूर है,इश्क़ की फिदरत आखिर होती है यूँ
जो छनकी पायल दिल भी धड़का
तालमेल हमने भी उनसे जोड़ लिया कुछ यूँ
आँखें देखना चाहती हैं बस तुझको
पलकों को अदायगी से जब गिराती हो यूँ
जितना भी दीदार करूँ,प्यास बुझती कहाँ है
मोहब्बत में सुना है गला सूखता है यूँ
©Yugesh
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