Friday, August 18, 2017

अब कहने को रह ही क्या गया था दरमियाँ

PK फिल्म का एक dialogue आपसे साझा करता हूँ;जब PK अपने ग्रह वापस जा रहा होता है और Jaggu को एहसास होता है की PK के दिल में क्या चल रहा है...............
"उसने एक बार भी पलट कर नहीं देखा/शायद अपने आँशु छुपा रहा था/कुछ सिख के गया बहुत कुछ सिखा के गया/झूठ बोलना सिख  कर गया और सिखा कर गया प्यार शब्द का सही मतलब/He loved me enough to let me go."
एक साधारण सा dialogue  जो अनसुना सा रह गया/पर गौर की जाए तो सच्चाई भी कितनी है/सच्चा प्यार  बस पाना नहीं होता बल्कि दूसरे की ख़ुशी के लिए वो एक चीज़ जो आपको बहुत अज़ीज है उसका खोना भी होता है.........

अब कहने को रह ही क्या गया था दरमियाँ
तुमने नज़रें जो झुका दी,लो मैं जान गया।
चित्र-गूगल आभार 
ये जो वस्ल की बातें हैं और अब मैं काफ़िर हूँ
कभी जो मोहब्बत से झुकी थी नज़रें,लो मैं जान गया।
तू मुझको अज़ीज थी,वो तुझको अज़ीज था
जो जरा सा इशारा हुआ,लो मैं जान गया।
मोहब्बत न नाचीज़ तेरी थी न नाचीज़ मेरी थी
ये जो शोरगुल क्या हुआ,लो मैं जान गया।
जिसे चाहो उसे पा जाना ही मोहब्बत नहीं
कभी खुशी के लिए छोड़ देना,लो मैं जान गया।
टूट जाऊँगा तुझे खोकर,ये बेकार की सोच है
टूट कर तुझे चाहा है और जीना,लो मैं जान गया।
माना कि किस्से मशहुर हैं हीर और राँझा के,हीर की एक मुश्कान को
किसी ने अपने अंदर के राँझा को भी दबाया होगा,लो मैं जान गया।
मोहब्बत न सही पर दोस्ती क्यूँ नहीं,ज़िन्दगी तो यूँ ही चलेगी
तू भी जान ले,मैं तो जान गया।
©युगेश
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3 comments:

  1. अच्छा लिखते हैं आप पढ़कर ये पंक्तियाँ याद आ गयी सर....

    हम तालिबे शोहरत हैं हमें नंग से क्या काम,
    बदनाम अगर होंगे तो क्या नाम न होगा ।
    -नवाब मुहम्मद मुस्तफ़ा खां शेफ़्ता

    [(तालिबे शोहरत = प्रसिद्धि/ ख्याति ढूँढने वाला), (नंग = प्रतिष्ठा, सम्मान)]

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    1. शुक्रिया विनोद।
      ये शेर साझा करने को बहुत बहुत आभार :)

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