उनसे दूर कहीं मैं इस कमरे में
बैठा लेकर ज़ाम
पर जाने क्यूँ दिल को कचोटता
बस वो प्यारा सा नाम /
हाँथों में ये ज़ाम लिए
बस भली सुबह की आस प्रिये
तू तो मेरी जान रही
अब मैं तेरे बिन बेजान प्रिये /
जान जानकर तुझको जो
प्रस्फुटित वो प्यार प्रिये
तू जो मेरे साथ रही
मैं जीता दिल को हार प्रिये /
जो मैं तुझसे लड़ता हूँ
ये तकरार नहीं है प्यार प्रिये
जो न होंठों से टकराती बाँसुरी
क्या रहता कोई संगीत प्रिये /
बस कुछ समय की बात रही
मैं देता खुद को आस प्रिये
बस इस कारन ही हाँथों में है
ये छोटा सा जाम प्रिये /
बस इस कारन ही हाँथों में है
ये छोटा सा जाम प्रिये /
©युगेश
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बैठा लेकर ज़ाम

बस वो प्यारा सा नाम /
हाँथों में ये ज़ाम लिए
बस भली सुबह की आस प्रिये
तू तो मेरी जान रही
अब मैं तेरे बिन बेजान प्रिये /
जान जानकर तुझको जो
प्रस्फुटित वो प्यार प्रिये
तू जो मेरे साथ रही
मैं जीता दिल को हार प्रिये /
जो मैं तुझसे लड़ता हूँ
ये तकरार नहीं है प्यार प्रिये
जो न होंठों से टकराती बाँसुरी
क्या रहता कोई संगीत प्रिये /
बस कुछ समय की बात रही
मैं देता खुद को आस प्रिये
बस इस कारन ही हाँथों में है
ये छोटा सा जाम प्रिये /
बस इस कारन ही हाँथों में है
ये छोटा सा जाम प्रिये /
©युगेश
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
ReplyDeleteजरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ
आपकी सराहना और मेरे ब्लॉग पर समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद / आगे भी कोशिश करूँगा की अपनी रचनाओं से आपको नीरस ना करूँ /
ReplyDeleteआभार
बहुत ही प्यारा
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