Tuesday, August 22, 2017

खर्राटे


सुनने में जितना भी अजीब लगे पर हाँ ये कविता खर्राटों पर है/खर्राटे जो आप भी लेते हैं हम भी लेते हैं/हाँ पर जब खर्राटों की ध्वनि जब चाहकर अनसुनी न रह जाये यानि की शोर प्रचंड हो तो वो व्यक्ति रोगी कहलाता है और उसके बगल वाला भुक्तभोगी /ऐसी स्तिथि में आप भी कभी न कभी जरूर रहे होंगे.................

प्रकाळ है प्रचंड है
जो छेड़ता मुझको सदा
अजब सा ये द्वन्द है
जिसने उडा दिया नींदों को मेरी
ख्याति जिसकी आबाद है
चित्र-गूगल आभार 
वो कोई मेरी प्रियतमा नहीं
बल्कि तेरी नाक का शंखनाद है
मैं खुश हूँ तेरे बात पर
सृष्टि के इस आधार पर
बस एक पीड़ा रही
कौन रात छोड़ जाता
ढोल तेरे नाक पर
धडम-धडम करता है जो
रात तांडव मैं करता अहो
चीर तेरी नींद को
अरे! देखो जरा इस दीन को
बिन नींद आँखें लाल हैं
तुझे आभास क्या मेरा हाल है
लोग पूछते मुझसे सदा
ये हाल तूने क्या रखा
कैसे बताऊँ दुख की घड़ी
मेरी नींद पर जो आ पड़ी
न जगता हुँ,न सोता हूँ मैं
बस रात भर रोता हूँ मैं
देख मेरा घोर क्रन्दन
शान्त हो,लोग करते वन्दन
नज़र मेरी रुई पर पड़ी
कानों में ठूँस ले निशाचरी
फिर नींद मीठी आएगी
भले,ढोल तान तीखी गाएगी।
©युगेश


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Friday, August 18, 2017

अब कहने को रह ही क्या गया था दरमियाँ

PK फिल्म का एक dialogue आपसे साझा करता हूँ;जब PK अपने ग्रह वापस जा रहा होता है और Jaggu को एहसास होता है की PK के दिल में क्या चल रहा है...............
"उसने एक बार भी पलट कर नहीं देखा/शायद अपने आँशु छुपा रहा था/कुछ सिख के गया बहुत कुछ सिखा के गया/झूठ बोलना सिख  कर गया और सिखा कर गया प्यार शब्द का सही मतलब/He loved me enough to let me go."
एक साधारण सा dialogue  जो अनसुना सा रह गया/पर गौर की जाए तो सच्चाई भी कितनी है/सच्चा प्यार  बस पाना नहीं होता बल्कि दूसरे की ख़ुशी के लिए वो एक चीज़ जो आपको बहुत अज़ीज है उसका खोना भी होता है.........

अब कहने को रह ही क्या गया था दरमियाँ
तुमने नज़रें जो झुका दी,लो मैं जान गया।
चित्र-गूगल आभार 
ये जो वस्ल की बातें हैं और अब मैं काफ़िर हूँ
कभी जो मोहब्बत से झुकी थी नज़रें,लो मैं जान गया।
तू मुझको अज़ीज थी,वो तुझको अज़ीज था
जो जरा सा इशारा हुआ,लो मैं जान गया।
मोहब्बत न नाचीज़ तेरी थी न नाचीज़ मेरी थी
ये जो शोरगुल क्या हुआ,लो मैं जान गया।
जिसे चाहो उसे पा जाना ही मोहब्बत नहीं
कभी खुशी के लिए छोड़ देना,लो मैं जान गया।
टूट जाऊँगा तुझे खोकर,ये बेकार की सोच है
टूट कर तुझे चाहा है और जीना,लो मैं जान गया।
माना कि किस्से मशहुर हैं हीर और राँझा के,हीर की एक मुश्कान को
किसी ने अपने अंदर के राँझा को भी दबाया होगा,लो मैं जान गया।
मोहब्बत न सही पर दोस्ती क्यूँ नहीं,ज़िन्दगी तो यूँ ही चलेगी
तू भी जान ले,मैं तो जान गया।
©युगेश
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मैं जोड़ लूंगा,छोड़ दे

ये तिलिस्म अपना तोड़ दे
क्या कर सकेगा छोड़ दे
ये रूह टूटी ही सही
मैं जोड़ लूंगा,छोड़ दे।

मैं कर्ण सा बलवान हूँ
बिखरा हुआ पर अभिमान हूँ
चित्र-गूगल आभार 
जिसने दे दिए कवच और कुंडल
बिखरा सही पर दयावान हूँ।

हुंकार की आधार पर
तेरे खोकले अहँकार पर
जा ढूँढ़ ले डरते हैं जो
मैं जीता अपने अभिमान पर।

ये लोक नीति ही नहीं
ये शोक नीति ही नहीं
जा पूछ ले जिससे भी हो
विनती किसी से की नहीं।

उपकार के उस हर्ज पर
रख हाँथ मेरे नब्ज़ पर
उभरूँगा फिर तू देख ले
समुद्र-मंथन के तर्ज पर।
©युगेश
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Wednesday, August 2, 2017

मैं चिराग हूँ बुझता हुआ ही सही,मगर याद रहे

मैं चिराग हूँ बुझता हुआ ही सही,मगर याद रहे
तुम्हारे दिल-e-मकान को रौशन,हमने ही किया था।
 चित्र-गूगल आभार 
ये किसी और से तिश्नगी जायज़ है तुम्हारी,मगर याद रहे
मोहब्बत से रूबरू हमने ही किया था।
चली जाओ किसी गैर की बाहों में गम नहीं, मगर याद रहे
तेरे दिल की आवाज़ को धड़कन,हमने ही दिया था।
तुम आज भी बारिश में जरूर भीगती होगी,मगर याद रहे
तुम्हारे बदन पर उन बूँदों का एहसास,हमने ही दिया था।
तुम तो यूँ ही नादान सी निकल जाती थी उस गली में,मगर याद रहे
उस पायल की मीठी झनक को महसूस,हमने ही किया था।
आज जो ये दूरियाँ हैं,बंदिशें ही सही,जो भी हो,मगर याद रहे
कुछ दर्द हमने लिया था,कुछ दर्द तुमने दिया था।
आज जो पहुँचा हूँ इस मक़ाम पर,खुश हूँ,मगर याद रहे
समेट रहा हूँ खुद को,थोड़ा टूटा था,बिखेर तुमने दिया था।
©युगेश
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Friday, July 14, 2017

शादी या कैरियर

जीवन के पड़ाव का जब २५वाँ वसंत आता है तो आपकी आक़ांक्षाएँ बदलने लगती हैं/ नौकरी और शादी दो ऐसे ज्वलंत विषय बन जाते हैं जो की ना केवल आपको बल्कि आपके माता-पिता,रिश्तेदारों सभी को बहुत परेशान करते हैं/ ऐसे में Donald Trump के राष्ट्रपति बनने पर जितना Mexico परेशान ना हुआ होगा उससे कहीं ज़्यादा परेशानी आपको हो जाती है बाकी रही सही कसर आस-पास के लोग पूरी कर देते हैं/ ऐसे में पनपता है विनोद.............

आज फिर हमारी शामत आयी
फिर घर में हमारी जो मामी आयी
आज फिर हमारे लिए रिश्ता लाया है
मुझसे कहा बड़े मुश्किल से मनवाया है
मैंने कहा मुझे अभी पढ़ना है
बेटा यही तो जीवन गहना है
और बाकी सब तो यूँ ही चलते रहना है
मामी आपको ये पता नहीं
चित्र-गूगल आभार 
नौकरियाँ आजकल बड़ी मुश्किल से मिलती हैं
कभी IT सेक्टर में बूम था
आजकल वहाँ भी छटनियाँ चलती हैं
आप छोड़ो ये सब
मुझे देना है अपने कैरियर को दिशा-निर्देश
अगर ये रिश्ता छोड़ दिया तो पछताओगे युगेश
तुम्हे पता है लड़की सुशील है सुंदर है
और तो और उसके पिताजी मिनिस्टर हैं
तब तुम्हारे पास वैभव होगा यश होगा
अरे! तरक्की इतनी की
कैशलेस के ज़माने में भी भर-भर के कैश होगा
और नौकरी की चिन्ता तो तुम छोड़ ही दो
IT सेक्टर की नौकरी न सही Bugatti जरूर होगा
मैंने कहा मामी ये ज्यादा हो गया
अरे! ठीक है कम से कम i20 तो होगा
इस मन-लुभावन भविष्य के झूले में
मैं भी मन ही मन खूब झूला
पर अचानक से झूले से गिरा
और यथार्थ में खुद को तौला
सामने लगे आईने पर मैंने अपना प्रतिबिम्ब देखा
क्या कहूँ मैंने खुद को थोड़ा बौना देखा
इसका तनिक आभास मुझे झकझोर गया
और इस मन-लुभावन रिश्ते को
मैं बनने से पहले तोड़ गया
मुझे लगा मामी अब नाराज़ हो जायेंगी
पर देखो ये अट्टाहास
किसे पता था मामी मुस्कुराएँगी
कहा चलो ये किताबें ऐसे ही नहीं रखी हैं
कुछ अच्छी बातें तुम्हारे दिमाग में भी धँसी हैं
खैर थोड़ी जल्दी करना
वरना तुम्हारे ये बाल उड़ जाएँगे
बताओ फिर अच्छे रिश्ते कहाँ से आएँगे
मामी आप चिन्ता न करें
मैं जल्द ही अच्छी सी नौकरी पाउँगा
और जब तक शादी न हो
बालों में बाबा रामदेव जी का
शुद्ध,चमत्कारी,अविश्वसनीय
केश कांति तेल लगाऊंगा।
©युगेश
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Friday, July 7, 2017

ठहर जाने दो पानी की इन छींटों को

ठहर जाने दो पानी की इन छींटों को चेहरे पर
कि ये मुझे ऐसे ही अच्छे लगते हैं
इनका गिरना,फिसलना,भटकना
मेरी तेरी आँख मिचौली से लगते हैं
चित्र- गूगल आभार 
ये बूँदें जो तुम्हारे लाली को समेटते हुए
उसके भार से गिरने को आमद हों
बता देना मुझे,मैं हथेली पर रख लूँगा उन्हें
क्योंकि एहसास होगा उनमें तुम्हारा
एक ठंडक सी होगी जो तुम महसूस न कर सको
पर मुझे इल्म है उसका,उस सुकून का
जो ज़िद पर आ जाए वो बूँदें
और ठहर जाना चाहें रुकसार पर तुम्हारे
थोड़ी सी रहमत करना उन पर
मैंने सुना है सीपियों में मोती बनते हैं
आज देखना चाहता हुँ
सुना है बारिश के बाद हल्की सी धूप होती है
डर है मुझे कहीं चुरा न ले जाये ये सूरज
इन मोतियों को फिर से कोई नई माला गूँथने
सो उठा लिया मैंने उन मोतियों को अपने होंठों से
कि अब वो मेरा हिस्सा थी जिनमें तेरा हिस्सा था
और मुस्कुरा उठी तुम मेरी नासमझी पर
अचानक फिर से तुम्हारे चेहरे पर एक बूँद आ टिकी
और लगा दिए तुमने अपने गाल मेरे गालों पर
और ठहर गयी वो बूँद
अब मुझे धूप का इंतज़ार था
मोती के माले जो गूँथवाने थे सूरज से
जिसमे तेरा हिस्सा था,जिसमे मेरा हिस्सा था/
© युगेश 
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Tuesday, June 20, 2017

और केश सफेद हैं,कुछ तेरे कुछ मेरे

क्योंकि,हर प्यार का अंत बुरा नहीं होता/क्योंकि,कई प्यार का कोई अंत भी नहीं होता।कई प्यार की कहानियाँ शाहरुख खान की फिल्मों की तरह भी होती हैं।हालाँकि, उसमे स्विट्ज़रलैंड के मनोरम दृश्य नहीं होते पर होते हैं बहुत से मनोरम पल,जिसमे होती हैं कुछ खट्टी-मीठी यादें,और जी लेते हैं उन्हें एक दूसरे के हाँथ पकड़े।एक उम्र बीत जाती है उस प्यार को जिये हुए।हाँ, कुछ केश सफेद जरूर हो जाते हैं, पर चमक अब भी वही पुरानी रहती है-


जज्बातों के शैलाब को ओढे
मैं निकल पड़ा तेरे ख्वाब को ओढे
रास्ते में बिखर गई वो पोटली,और टूट गए
कुछ सपने,कुछ तेरे कुछ मेरे
दरख्तों के रास्ते जाती वो पगडंडी,याद है
पैरों के निशान पड़े थे,कुछ तेरे कुछ मेरे
वो स्पर्श था,आलिंगन था,प्रेम था
जज़्बात थे,कुछ तेरे कुछ मेरे
चित्र-गूगल आभार 
याद है जब ना समझी में तोहफे लेकर आया
तुमने पूछा कौन सा लूँ,ये भी तेरे वो भी तेरे
तुम्हारे सुंदर मेहंदी को बिगाड़ती मेरी आजमाईश
हमारे अटूट प्यार के बीच न आती
कुछ कमियाँ हैं, कुछ तेरे कुछ मेरे
मेरी गुस्ताखी के बाद भी जो बची थी वो खूबसूरत आकृतियाँ
तुमने पूछा और ये क्या हैं
ये अच्छाइयाँ हैं जो जोड़ती हैं हमें
बहुत कम हैं मेरे ,बहुत से हैं तेरे
बहुत कुछ जो देखा जिंदगी में कुछ सपने टूटते
पर बहुत से जीते
,मैंने तेरे और तुमने मेरे
जब भी दो राह आये जिंदगी की राह में
हाँथ पकड़े,तूने मेरे मैंने तेरे
आज अरसा बीता हम साथ हैं
पता है,केश सफेद हैं,कुछ तेरे कुछ मेरे
©युगेश
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