Saturday, August 4, 2018

HAPPY FRIENDSHIP DAY

Somehow we met
Somehow we became friends
We may not be jai-veeru
But we sure have set trends
So you remember the drinks
Oh please don't spill the beans
You know it's facebook 
And for my mother 
I am still a teen
photo courtsey:google images
U have my secrets
I remember your sins
You don't have to worry
Together we always came clean
Some I met in childhood
Some in the college days
And some sudden and outright
Oh these coincidences make life
Remember the good old days 
Remember the pain
Reconciliation after the fight
We sure belong to same clan
Life has been a roller coaster ride
Thanks for being always by my side
Things have changed, we grew up
and drifted away
Job,study whatever the reason you say
It's my life but you will always have a say
Do keep disturbing keeping all the ego at bay
Remember whenever we meet we will say yay
Till then HAPPY FRIENDSHIP DAY :D
©Yugesh
Rate this posting:
{[['']]}

Monday, July 23, 2018

दिल के किराएदार

बकौल मोहब्बत वो मुझसे पूछता है
दिल के मकान के उस कमरे में
क्या?अब भी कोई रहता है।
थोड़ा समय लगेगा,ध्यान से सुनना
बड़ी शिद्दत से बना था वो कमरा
कच्चा था पर उतना ही सच्चा था
उसे भी मालूम था कि उसकी
एक एक ईंट जोड़ने में मेरी
चित्र - गूगल आभार 
एक एक धड़कन निकली थी
इकरारनामा तो था
पर उस पर उसके दस्तख़त न हो पाए
उसे कोई दूसरा कमरा पसंद था
मेरा कमरा थोड़ा कच्चा था
सो अब सीलन पड़ने लगी थी
थोड़ी दरारें भी आ गईं थी
लोगों के कहने पर थोड़ी
मरम्मत करवाई है
सीलन और दरारें थोड़ी भरने लगी हैं
अब मैं वो कमरा किराये पर लगाता हूँ
किरायेदार भी अच्छे मिल जाते हैं
पर किसी में ऐसी बात नहीं मिली
कि कमरे को मकान से जोड़ दे
दरारे कम हो गई हैं
पर अब भी कुछ बाकी हैं
हाँ, मैंने इकरारनामे की कुछ शर्तें
बदल जरूर दी हैं
किराया ठीक ठाक मिल जाता है
तकलीफ अब उतनी नहीं होती।
©युगेश

https://youtu.be/M2LG7xv2y7g
Rate this posting:
{[['']]}

Thursday, July 12, 2018

जब मेरी बच्ची रोती है

आँखें मूँद इंसानियत जाने कहाँ सोती है
चित्र - गूगल आभार 
जीते जी मर जाता हूँ मैं जब मेरी बच्ची रोती है|
क्या कुछ नहीं बीता नाज़ुक सी उस जान पर
माँस के इस ढांचे में अब कहाँ वही बच्ची होती है।
छलनी-छलनी हो जाता जिगर मेरा,जब जिगर के टुकड़े से
कहाँ छुआ,कैसे हुआ ये तफ्तीश होती है।
कमाल है समाज,मुझे सोच पर तरस आता है
जुर्म करता है कोई और चेहरा मेरी बच्ची ढकती है।
हुजूम सा आया है सड़कों पर खबर है मुझे
अफ़सोस!ये सबकुछ हो जाने के बाद होती है।
हाल किसी ने न जाना,बस कौम पूछते रह गए
सियासत है जनाब,अफ़सोस ऐसी ही होती है।
गुरुर अब भी उतना हीं है,मुझे अपनी बच्ची पर
आदमी ही हूँ,कौम जिसकी बस एक पिता की होती है।
©युगेश

Rate this posting:
{[['']]}

Thursday, June 21, 2018

इच्छाएँ मन मझधार रहीं

इच्छाएँ मन मझधार रहीं
न इस पार रहीं न उस पार रहीं
उम्र बढ़ी जो ज़हमत में
नादानी हमसे लाचार रहीं
कुछ पाया और कुछ खोया
गिनती सारी बेकार रही
जेब टटोला तो भरे पाए
चित्र - गूगल आभार 
बस घड़ियाँ भागम-भाग रहीं
कदम बढ़े जो आगे तो
नज़रें पीछे क्यूँ ताक रहीं
एक गुल्लक यादों का छोड़ा था
स्मृतियाँ हाहाकार रहीं
वापस लौटा,गलियाँ घूमा
सब जाने क्यूँ चीत्कार रहीं
उस बूढ़े बरगद चाचा से
अब कहाँ वही पहचान रही
कहते लज्जत वही मिठाई की है
पर कहाँ वही चटकार रही
दरीचा जिसे देख दिल ये धड़का था
अब धड़कन कहाँ बस आवाज़ रही
चलते चलते जो उस ठौर रुका
देखा इमारत शायद वही रही
माँ ने खोला दरवाज़ा तो घर पाया
पग दौड़े,आँखें नीर से भरी रही
देखा तो पाया बस थी यहीं ठहरी
वो खुशियाँ जो बेहिसाब रहीं।
©युगेश
Rate this posting:
{[['']]}

Tuesday, May 29, 2018

धीरे धीरे जो सुलगी

धीरे धीरे जो सुलगी वो आग हो गई
 चित्र - गूगल आभार 
हमने लिखने को जो उठाई कलम
वो आज किताब हो गयी
उनके जुल्फों की खुशबू में हम यूँ बहके
की जो अब तक न चढ़ी आज शराब हो गई।
आज आबशार जो देखा मैंने नदी के किनारे
उनकी जुल्फों से रिस कर रुकसार पर आते हुए
जुस्तजू का आलम ये हुआ
की खुदा से आज बगावत हो गयी
क्या कहूँ बस तब से उनकी इबादत हो गई।
कई बार उनकी मुस्कराहट के बारे में सोचा
जब भी सोचा चेहरे पर मुस्कान आ गयी
तारीफ़ करना हमने सीखा नहीं
दीदार-e-पाक क्या हुआ पन्नो पर स्याही आ गयी
वाह-वाही अपने ग़ज़लों की हमने पहले न सुनी
जिक्र जो उनका हुआ
अल्फ़ाज़ों में ताकत करिश्माई आ गयी।
©युगेश
Rate this posting:
{[['']]}

Sunday, May 20, 2018

सवाल कुछ यूँ भी हैं जिंदगानी में

सवाल कुछ यूँ भी हैं जिंदगानी में
कि अश्क हैं भी और गिरते भी नहीं।
चित्र-गूगल आभार 
शरीर टूटता है उन कामगार बच्चों का
एक आत्मा थी जो टूटी है पर टूटती भी नहीं।
उस बच्ची का पुराना खिलौना
आज मैंने कचरा चुनने वाली बच्ची के पास देखा
पता है खिलौना टूटा है,पर इतना टूटा भी नहीं।
ठगे जाते हैं लोग अक्सर सत्ता-धारियों से
बौखलाहट है,पर शायद उतनी भी नहीं।
बड़ा आसान देखा है मैंने आरोप लगाना
कमिया कुछ मुझमें भी होंगी,गलती बस उसी की नहीं।
पिता को मैंने हमेशा थोड़ा कठोर सा देखा है
कभी जो अंदर झाँक के देखा,शायद इतने भी नहीं।
गुबार है गर दिल में तो निकल जाने दो
दर्द जो होगा तो एक बार होगा,पर उतना भी नहीं।
किसी की कामयाबी देखकर घबरा न जाना
जुनून को सुकून चाहिए,पर उतना भी नहीं।
भला जरूर करना लोगों का,बस खुश करने की कोशिश नहीं
दोस्त जरूर चाहिए सबको,पर उतने भी नहीं।
फकत दिल का रोना भी कोई रोना है यारों
गम और भी हैं ज़िंदगानी में,कम्बख्त बस यही तो नहीं।
©युगेश
Rate this posting:
{[['']]}

Tuesday, May 8, 2018

अहं

धृतराष्ट्र आँखों से अंधा
पुत्र दुर्योधन अहं से अंधा था
उसकी नज़रों से देखा केशव ने
चित्र- गूगल आभार 
चारों ओर मैं ही मैं था।

जब भीम बड़े बलशाली से
बूढ़े वानर की पूँछ न उठ पाई
बड़ी सरलता से प्रभु ने
अहं को राह तब दिखलाई।

जैसे सुख और माया में
धूमिल होती एक रेखा है
वैसे मनुज और मंज़िल के बीच
मैंने अहं को आते देखा है।

जितनी जल्दी ये ज़िद छुटे
अहंकार का कार्य रहे,अहं छुटे
मनुज को भान स्वयं का होता है
सूर्य वही उदय तब होता है।
©युगेश

Rate this posting:
{[['']]}