Monday, September 9, 2024
तू जो आएगा
साँसे ये मेरी साँसे करती हैं बातें सिर्फ तेरी
साँसे ये मेरी साँसे करती हैं बातें सिर्फ तेरी
आँखें ये मेरी आँखें देखे हैं सपने सिर्फ तेरी
तू ख्वाब है , ताबीर है
तू है मेरा क्या बता। X 2
धड़कन ये मेरी धड़कन छेड़े हैं सरगम सिर्फ तेरी
हलचल सीने में हलचल आते हैं सुनकर आहटें तेरी
मैं रात हूँ तू दिन मेरा
तू ही मेरी हर सुबहा। X 2
राहत मिलती है राहत पाकर सोहबत सिर्फ तेरी
उल्फत ये कैसी उल्फत हैं ये रहमत सिर्फ तेरी
तू हीर है तू सब मेरा
तू हीं मेरा हमनवा। X 2
बहका मैं तो हूँ बहका सुनकर बातें सिर्फ तेरी
खोया मैं तो हूँ खोया जाने कबसे जुल्फों में तेरी
मैं ढूँढता हूँ रब मेरा
तू ही मेरा रहनुमा। X 2
साँसे ये मेरी साँसे करती हैं बातें सिर्फ तेरी
आँखें ये मेरी आँखें देखे हैं सपने सिर्फ तेरी
तू ख्वाब है , ताबीर है
तू है मेरा क्या बता। X 2
©युगेश
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चित्र - गूगल आभार |

Saturday, November 18, 2023
सन्नाटा
कितना आसान है चले जाना
और लौटना उतना ही मुश्किल
फूल पर भ्रमर का आना ज्यादा सुखद है
या उसका चला जाना ज्यादा दुःखद
उन्माद का त्रासदी हो जाना
और उसका वापस लौट कर
फिर कभी उस फूल पर न आना
क्या ? इसलिए फिर झड़ जाते हैं फूल
सवाल उन गिरे हुए फूलों से करना
इतना आसान नहीं उनका खिलना
आसान है उनका शाख से चले जाना
भ्रमर आने का शोर करता है
जाने की कोई आवाज़ नहीं होती
होता है तो सिर्फ सन्नाटा ।
©युगेश
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चित्र - गूगल आभार |

Tuesday, May 16, 2023
प्रथम वर्ष प्रेम का
प्रथम वर्ष प्रेम का
तेरे मेरे गठजोड़ का
जैसे कोई मधुर राग
और जल्दी बीते फाग।
कभी दिखे चितचोर
और कभी दिखे बरजोर
कभी हाथो में ले हाथ
कभी करते दो दो हाथ।
दिल की बातें आँखों से
आँखें करती इशारे
अकुलाई कभी घबराई सी
कभी मन में फूटते शरारे।
तवे से निकली रोटी
थोड़ी पकी थोड़ी कच्ची
जैसे अल्हड़ हमारा प्यार
और समय लाए निखार।
धीरे मिटे मन की झिझक
आँखों में एक-दूजे की ललक
कैनवास को रंगता चित्रकार
जिसे रंग भरता तेरा मेरा प्यार।
©युगेश

Sunday, July 10, 2022
खबर जो भिजवाई तो भिजवाई कैसे
खबर जो भिजवाई तो भिजवाई कैसे
बिना कहे जतलाई तो जतलाई कैसे।
बदल गया चंद लम्हों में ये गुलिस्तां
जिस हवा से उजड़ा चमन वो आई कैसे।
देख कर भी सब कुछ अनदेखा कर दिया
पट्टी इतने अच्छे से आँखों पर बंधवाई कैसे।
जवाबदेही चाहिए तुम्हें हर शख्स से
ज़िम्मेदारियाँ अपनी बखूभी भुलाई कैसे।
साख के फूल हो उससे सवाल करते हो
कभी जाना तुम्हें वो सींच पायी कैसे।
बातें बड़ी करके मुकर जाना कमाल है
याददाश्त कमज़ोर की जुगत लगाई कैसे।
देखते जिस चश्मे से तुम बखूभी ज़माना
क्यूँ, हटा भी न पाई तुमने वो काई कैसे।
जब उतार न सका कर्ज़ माँ बाप का
तुमने गलतियाँ गिनाईं तो गिनाईं कैसे।
राह पकड़ी तो वो पगडंडी बने रहे
मंज़िल आई तो औकात दिखाई कैसे।
सही को गलत कहके खुद को सही बताना
नायाब ये काबिलियत लाई कैसे।
जरूरत पड़ी तो थामी थी उँगली उनकी
आन पड़ी जरूरत उनको, बखूभी झुठलाई कैसे।
©युगेश
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चित्र - गूगल आभार |

Wednesday, July 6, 2022
मैं और टमाटर
मैं और टमाटर अक्सर ये बातें करते हैं
टमाटर देशी होती तो स्वाद कैसा होता
उसकी चटनी बनती तो कैसा होता
चटनी में थोड़ी मिर्ची पिसी जाती
तुम थोड़ी और सस्ती होती
तो मेरी थैली पूरी भर जाती
स्वाद के साथ मैंने बजट भी देखा है
मुझे तुम्हारा बीज पसंद नहीं
सो उन्हें फुलवारी में फेंका है
स्वाद और भी दूना हो जाता है
जब जीरे का तड़का पड़ जाता है
मेरे देश में हज़ारों लोगों का गला
बस रोटी चटनी से तर जाता है।
©युगेश
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चित्र - गूगल आभार |

Friday, June 24, 2022
वो लड़की जो लम्बे बाल रखती है।
बड़ी कसमसाई नाज़ुक खयाल रखती है
वो लड़की जो लम्बे बाल रखती है।
आँखों पर कितनें अनगिनत सवाल रखती है
मेरा नाम लिख, चेहरे को लाल रखती है।
कैसे न सुनूँ , न मानूँ बातें उसकी
कितने सलीके से वो हर बात रखती है।
बाहों से उठाकर उसे मैं दिल में रखता हूँ
लड़की वो मुझको इतनी जमाल लगती है।
घबरा भी जाता हूँ उसके सवालों से कभी
वो लड़की कभी गज़ब कोतवाल लगती है।
उसके चेहरे पर हमेशा नूर दमकता है
मुखड़े पर जाने कहाँ से लाकर चाँद रखती है।
उसकी आँखों से देखी जब से दुनिया मैंने
ये दुनिया भी क्या खूब कमाल लगती है।
©युगेश
