दिल के तहखाने से
कुछ किस्से निकाले।
कुछ आँसू तब हमने
आँखों में सँभाले।
हम ढूँढने चले थे रोशनी
पर मिले सब झूठे उजाले
हुए लावारिस सपने वो,
जो हमने मिलकर के पाले।
दिल के तहखाने से
कुछ किस्से निकाले।
कुछ आँसू तब हमने
आँखों में सँभाले।
मुरझाए फूल वो जो तुमने
नोटबुक के पन्नों में डाले।
प्रेम के इम्तिहान में तुम्हारे
पत्र सभी पढ़ डाले।
दिल के तहखाने से
कुछ किस्से निकाले।
कुछ आँसू तब हमने
आँखों में सँभाले।
तुमसे मिलकर हमने सारे
पैमाने बदल डाले।
च़राग़ बुझाए ढ़ूंढ़ रहे हैं
हुए थे जिसके हवाले।
दिल के तहखाने से
कुछ किस्से निकाले।
कुछ आँसू तब हमने
आँखों में सँभाले।
©युगेश
चित्र - गूगल आभार |
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