स्थिति चिंताजनक है
देश की नहीं, देशवासियों की।
पत्रकारिता एक ठूंठ पर बंधी
बकरे के जैसी मिमिया रही है।
पूछ रही है हो क्या रिया है
पर कोई बोल नहीं रिया है।
बोल भी दे तो सुने कैसे
इतना शोर जो हो रिया है।
संभावनाएँ असीम हैं
पर TRP ये सब करा रिया है।
देश संकट में है पर
अपने को इसी में मज़ा आ रिया है।
"बकरे" के स्वामी गो लोग आजतक
काहे को चिल्ला रिया है।
अपने को ज्यादा समझ नहीं आता
पर मज़ा बहुत आ रिया है।
बहुत सन्नाटा है instagram पर
workout का video नहीं आ रिया है।
भोले बाबा के भक्त सभी हैं यहाँ पर
पर कोई क्यूँ अब नहीं बता रिया है।
भोलेबाबा आसमान से बोले
Naughty बालक मुझे क्यूँ फंसा रिया है।
देश में और भी विपदाएँ हैं
वो कोई क्यूँ नहीं बता रिया है।
भारत के घर पे चार खम्बे थे
कभी कोई उखाड़ रिया है,कभी कोई लगा रिया है।
©युगेश
चित्र - गूगल आभार |
इतना मज़ा आ रिया था आपकी कविता पढ़ के, कि लग रहा था खत्म क्यूं हो गिया। 😀😄
ReplyDelete😂😂😂 bahut mja aaya parh kr👌👌👌
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