बम-बम भोले बम-बम भोले
पेट मेरा खाये हिचकोले
किसने बो दी चरस यहाँ पर
इधर डोले कभी उधर डोले
शंख नाद की कर्कश ध्वनि
धीरे-धीरे और हौले-हौले
कोलाहल जो मचा उदर में
ना पच पाए पूरी और छोले
उदर था पर उदार नहीं वो
मैंने ये भी डाले वो भी डाले
माँ की आज्ञा सर-आँखों पर
बेटा ये भी खाले वो भी खाले
प्रदूषण हमेशा अप्रिय मुझे पर
दागे मैंने रह-रहकर गोले
Relay दौड़ भाँति मैं भागा
तोड़ शौचालय के ताले
जाने क्या की पाप थी मैंने
बदला ले रहे हर एक निवाले
उदर स्वस्थ होगा जब तब
माँ बोलेगी भोग लगाले
समर शेष है जब तक तबतक
गीले चावल जठराग्नि हवाले
हो जाऊँ दण्डवत प्रभु मैं
संजीवनी मिले हनुमान बचाले।
©युगेश
^_^
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