हवाएँ, सदाएँ ,दुवाएँ क्या
तस्सवुर में तेरे हैं, बताएँ क्या
तेरे पलकों पे आ ठहरी चाँदनी
चाँद से ये दिल्लगी, बताएँ क्या
न देखा कभी सजते उसे
सजदे में उसके हैं, बताएँ क्या
बिखरी जुल्फें, बादल उमड़ते हैं
बे-आब हम डूब गए, बताएँ क्या
पर हैं उसके,फैलाना चाहती है
समाज की पाबंदियाँ, बताएँ क्या
उसके हर सवाल का जवाब हो जाऊँ
हसरत ऐसी भी, बताएँ क्या
खामोशी जब भी बसे तेरे सीने में
हम शोर हो जाएँ, बताएँ क्या
तेरे बालों का वो लट हो जाउँ
तू हटाए, फिर आए, बताएँ क्या।
©युगेश
अति सुंदर
ReplyDeleteशुक्रिया !!
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