Saturday, November 2, 2024

घर का अलंकार

तुझको पाकर मैंने पाया
पूरा ये संसार
गुड़िया तेरे होने से
हर सपना साकार
तेरे कु कु का का से
मेरा घर गुलज़ार
बड़ी बड़ी आँखों से
तू जो देखे बारंबार
पितृ हृदय की कल्पित वीणा में
बजते कितने तार
तू जो मोती भर ले आँखों में
मैं तुझको लू पुचकार
तेरे रून झुन से हो जाता 
घर मेरा झनकार
तेरे आने से मैंने देखा
कुदरत का चमत्कार
तेरे माथे को चूम चूम
मैं थका नहीं एक बार
तेरे पीछे भाग भाग
अब बचा नहीं इतवार
निहारूँ तुझको मैं तो जीभर
तू दाता का उपकार
तू मेरी मिट्टी है बिटिया
मैं तेरा कुम्हार
मेरी कड़वी बातों को भी
तू करना अंगीकार
लक्ष्मी बन तू आयी गुड़िया
बन इस घर का अलंकार।
©युगेश



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